LUCK (क़िस्मत) क्या है? , आम आदमी ,किस्मत और उसकी मानसिकता

"क़िस्मत (Luck) क्या है?  एक गहन लेख दूँगा जिसमें ये सब शामिल होगा : 

  1. क़िस्मत का अर्थ और परिभाषा
  2. धार्मिक, दार्शनिक और सामाजिक दृष्टिकोण से क़िस्मत
  3. क़िस्मत बनाम कर्म
  4. क़िस्मत और विज्ञान का संबंध
  5. क़िस्मत के बारे में अलग-अलग विचारधाराएँ
  6. जीवन में क़िस्मत की भूमिका
  7. क़िस्मत बदलने की सम्भावना
  8. प्रेरणादायक उदाहरण और कहानियाँ
  9. निष्कर्ष

1. प्रस्तावना 

 मानव जीवन में "क़िस्मत" शब्द का बहुत बड़ा महत्व है। जब किसी को बिना परिश्रम सफलता मिलती है तो लोग कहते हैं – "उसकी किस्मत बहुत अच्छी है।" वहीं जब कोई मेहनत करके भी असफल हो जाता है, तो कहा जाता है – "उसकी किस्मत ही खराब है।"


लेकिन असल में किस्मत क्या है? क्या यह सचमुच हमारे जीवन को नियंत्रित करती है या यह केवल मन की धारणा है? यही समझना इस लेख का उद्देश्य है।


2. किस्मत का शाब्दिक और वास्तविक अर्थ

"क़िस्मत" अरबी शब्द "क़िस्मा" से आया है, जिसका अर्थ होता है "बाँट दिया गया भाग"
हिन्दी में किस्मत का अर्थ होता है – भाग्य, नियति या वह शक्ति जो हमारे जीवन की दिशा तय करती है।

  • अगर इसे साधारण भाषा में समझें तो
    किस्मत वह परिस्थिति है, जो हमारे नियंत्रण से बाहर होती है, लेकिन जिसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।

3. धार्मिक दृष्टिकोण से किस्मत

  1. हिन्दू धर्म में किस्मत
    • हिन्दू धर्म में किस्मत को "कर्मफल" से जोड़ा गया है। गीता में कहा गया है
      "मनुष्य अपने कर्मों का अधिकारी है, फल का नहीं।"
    • इसका अर्थ है कि आज की परिस्थिति (किस्मत) हमारे पिछले कर्मों का परिणाम है।
    • पुनर्जन्म की धारणा भी किस्मत को और गहरा बना देती है, क्योंकि माना जाता है कि वर्तमान जीवन की घटनाएँ पिछले जन्म के कर्मों से जुड़ी होती हैं।
  2. इस्लाम में किस्मत
    • इस्लाम में किस्मत को "तक़दीर" कहा गया है।
    • कुरान के अनुसार अल्लाह ने हर इंसान के लिए एक रास्ता तय किया है। लेकिन यह भी कहा गया है कि इंसान को सही और गलत के बीच चुनाव करने की आज़ादी है।
  3. ईसाई धर्म में किस्मत
    • बाइबिल के अनुसार इंसान का जीवन ईश्वर की इच्छा पर निर्भर है। लेकिन ईश्वर ने इंसान को स्वतंत्र इच्छा (Free Will) दी है ताकि वह अपने कर्म से अपनी नियति गढ़ सके।

4. दार्शनिक दृष्टिकोण से किस्मत

भारतीय दार्शनिक परम्परा में किस्मत को हमेशा कर्म और भाग्य से जोड़कर देखा गया है।

  • आस्तिक दर्शन (जैसे वेदांत, सांख्य) – किस्मत हमारे कर्मों का परिणाम है।
  • नास्तिक दर्शन (जैसे चार्वाक) – किस्मत जैसी कोई चीज़ नहीं होती, यह केवल मनुष्य की कल्पना है।
  • बौद्ध दर्शन – "किस्मत" नहीं बल्कि "प्रतित्यसमुत्पाद" यानी कारण और परिणाम का सिद्धांत काम करता है।

5. किस्मत और कर्म का संबंध

यह सबसे बड़ा प्रश्न हैकिस्मत बड़ी है या कर्म?

  • कुछ लोग कहते हैं – "किस्मत बदलती नहीं।"
  • कुछ लोग मानते हैं – "कर्म किस्मत को बदल सकता है।"

उदाहरण

  • एक किसान मेहनत करके खेत में बीज बोता है। बीज अंकुरित होना किस्मत है, लेकिन सिंचाई और देखभाल कर्म है।
  • छात्र परीक्षा देता है। प्रश्नपत्र आसान आना किस्मत है, लेकिन तैयारी करना कर्म है।

इसलिए कहा जाता है
👉 किस्मत मौके देती है, कर्म उन्हें सफलता में बदलता है।


6. किस्मत और विज्ञान का संबंध

विज्ञान किस्मत को "संयोग" (Chance) और "संभावना" (Probability) से जोड़ता है।

  • लॉटरी जीतनायह संभावना का खेल है।
  • बीमारी होनाकभी-कभी आनुवंशिक कारणों से होता है, जिसे लोग किस्मत मान लेते हैं।
  • प्राकृतिक आपदापूरी तरह इंसान के नियंत्रण से बाहर है।

इस दृष्टि से किस्मत दरअसल अज्ञात परिस्थितियों का परिणाम है, जिन्हें हम समझ नहीं पाते।


7. किस्मत के बारे में विभिन्न विचारधाराएँ

  1. भाग्यवाद (Fatalism)सब पहले से तय है, इंसान कुछ नहीं कर सकता।
  2. कर्मवाद (Karma Theory)किस्मत कर्मों का परिणाम है।
  3. स्वतंत्र इच्छा (Free Will)इंसान अपने निर्णयों से अपनी किस्मत खुद लिखता है।
  4. मिश्रित दृष्टिकोणकिस्मत मौके देती है, कर्म उन्हें आकार देते हैं।

8. जीवन में किस्मत की भूमिका

  • जन्मकोई अमीर घर में पैदा होता है, कोई गरीब में। यह पूरी तरह किस्मत है।
  • मिलने वाले अवसरकिसी को अचानक बड़ी नौकरी का अवसर मिलता है।
  • मिलने वाले लोगजीवन में अच्छे गुरु, मित्र या जीवनसाथी मिलना किस्मत है।
  • संघर्ष और प्रेरणाकभी कठिन परिस्थितियाँ भी किस्मत बनकर आती हैं, जो हमें मजबूत बना देती हैं।

9. क्या किस्मत बदली जा सकती है?

यह सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है।

  • धार्मिक मान्यताप्रार्थना, पूजा, दान, तपस्या से किस्मत सुधारी जा सकती है।
  • आधुनिक दृष्टिकोणशिक्षा, कड़ी मेहनत और सही निर्णय से इंसान अपनी परिस्थितियाँ बदल सकता है।
  • प्रेरणादायक उदाहरण
    • अब्दुल कलामसाधारण परिवार से निकलकर "मिसाइल मैन" और राष्ट्रपति बने।
    • धीरूभाई अंबानीपेट्रोल पंप पर काम करने वाले से अरबपति उद्योगपति बने।

इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि किस्मत दरवाजे खोलती है, लेकिन अंदर प्रवेश कर्म से ही होता है।


10. प्रेरणादायक कहानी

एक बार दो मित्र जंगल में लकड़ी काटने गए। अचानक वहाँ सोने का बर्तन मिला।

  • पहला मित्र बोला – "यह मेरी किस्मत है। मैं इसे बेचकर अमीर बनूँगा।"
  • दूसरा बोला – "किस्मत से यह मिला है, लेकिन मेहनत से ही टिकेगा। चलो इसे बेचकर व्यापार शुरू करते हैं।"

पहला मित्र बर्तन बेचकर खर्च कर बैठा और फिर गरीब हो गया।
दूसरा मित्र व्यापार में लगाकर सफल हो गया।

👉 शिक्षाकिस्मत केवल मौका देती है, उसका उपयोग करना कर्म है।


11. “एक आम आदमी किस्मत के बारे में क्या सोचता है, और उसकी मानसिकता 

11.1 आम आदमी और किस्मत

भारतीय समाज में "क़िस्मत" शब्द बहुत आम है। जब कोई व्यक्ति मेहनत के बावजूद असफल होता है तो वह किस्मत को दोष देता है। वहीं जब बिना खास प्रयास सफलता मिलती है, तो कहा जाता हैभाई, किस्मत अच्छी है।
असल में किस्मत को लेकर आम आदमी के मन में गहरी जड़ें जमा चुकी मान्यताएँ हैं। यह मानसिकता इंसान के जीवन को या तो आगे बढ़ाती है या उसे पीछे खींच लेती है।


11.2. आम आदमी किस्मत के बारे में क्या सोचता है?

  1. पहले से तय है सब कुछ
    अधिकांश लोग मानते हैं कि जीवन की हर घटना पहले से तय है। कौन सा काम सफल होगा और कौन सा असफल — यह किस्मत लिखकर लाई जाती है।
  2. मेहनत से ज्यादा किस्मत
    गाँव–कस्बों में प्रचलित कहावत है:

मेहनत से ज्यादा किस्मत का साथ चाहिए।
इसका मतलब है कि मेहनत तो सब करते हैं, लेकिन सफलता उसी को मिलती है जिसकी किस्मत अच्छी हो।

  1. दोष किस्मत को देना आसान है
    जब कोई असफल होता है तो लोग खुद की गलतियों को स्वीकारने के बजाय किस्मत को दोष देते हैं। यह मानसिकता उन्हें और पीछे धकेल देती है।
  2. सफल व्यक्ति की किस्मत चमकी
    आम लोग मानते हैं कि अमीर या सफल लोग किस्मत वाले होते हैं, जबकि उनकी मेहनत और संघर्ष को अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।

11.3. यह मानसिकता क्यों बनती है?

  • संस्कार और परंपराएँपरिवार और समाज से सुना किसब किस्मत से होता है।
  • धार्मिक मान्यताएँकई जगह यह विश्वास गहरा है कि ईश्वर ने सब पहले से लिखा है।
  • असफलताओं का डरबार-बार असफल होने के बाद इंसान किस्मत को दोष देने लगता है।
  • जिम्मेदारी से बचनाखुद की कमी स्वीकार करने से आसान है किस्मत को दोष देना।

11.4. मानसिकता को कैसे बदला जा सकता है?

  1. शिक्षा और जागरूकता
    शिक्षा इंसान को यह समझने में मदद करती है कि सफलता केवल किस्मत से नहीं आती, बल्कि लगातार सीखने और मेहनत करने से आती है।
  2. प्रेरक कहानियाँ और उदाहरण
    आम आदमी तब अधिक प्रभावित होता है जब उसे अपने जैसे किसी व्यक्ति की कहानी सुनाई जाती है, जिसने किस्मत को दोष न देकर मेहनत से जीवन बदला हो।
  3. छोटे-छोटे लक्ष्य
    जब व्यक्ति छोटे-छोटे कामों में मेहनत करके सफलता देखता है, तो धीरे-धीरे उसकी सोच बदलने लगती है कि किस्मत नहीं, बल्कि कर्म ही असली शक्ति है।
  4. ध्यान और आत्मचिंतन
    जब व्यक्ति ध्यान करके अपने जीवन पर विचार करता है, तो उसे समझ आता है कि किस्मत अवसर दे सकती है, लेकिन उन्हें पकड़ना और उनसे लाभ उठाना कर्म पर निर्भर है।

11.5. प्रेरक कहानी – 1 दो भाइयों की कहानी

एक गाँव में दो भाई रहते थे। दोनों गरीब परिवार में पैदा हुए।

  • बड़ा भाई हमेशा कहता: हम गरीब पैदा हुए हैं, हमारी किस्मत ही खराब है। चाहे कितना भी काम कर लो, अमीर नहीं बन सकते।
  • छोटा भाई सोचता: अगर किस्मत खराब है तो मेहनत से इसे बदलना पड़ेगा। मैं काम सीखूँगा, मेहनत करूँगा और जीवन बदलूँगा।

बड़ा भाई दिनरात यही सोचते हुए खेतों में मजदूरी करता और शराब में पैसे उड़ाता। वहीं छोटा भाई शहर जाकर बढ़ई का काम सीखने लगा। धीरे-धीरे उसने फर्नीचर की दुकान खोली और फिर उसका बिज़नेस पूरे जिले में मशहूर हो गया।

कुछ साल बाद जब लोग पूछने लगे कि छोटा भाई कैसे सफल हुआ, तो उसने कहा:
👉 मेरी किस्मत खराब थी, लेकिन मैंने उसे बदलने के लिए मेहनत की। किस्मत सिर्फ दरवाज़ा दिखाती है, भीतर जाना मेहनत पर है।

सीखकिस्मत को दोष देना आसान है, लेकिन जीवन को बदलना केवल कर्म से संभव है।


11.6. प्रेरक कहानी – 2  छात्र और परीक्षा

दो मित्र एक ही कॉलेज में पढ़ते थे।

  • पहला छात्र हमेशा कहता: मुझे गणित समझ नहीं आता। यह मेरी किस्मत है। चाहे कितना भी पढ़ लूँ, नंबर कम ही आएंगे।
  • दूसरा छात्र मानता था: अगर मुझे गणित नहीं आता तो मैं डबल मेहनत करूँगा। किस्मत की जगह तैयारी पर भरोसा रखूँगा।

परीक्षा में हुआ क्या?

  • पहले छात्र के सचमुच नंबर बहुत कम आए। उसने फिर से किस्मत को दोष दिया।
  • दूसरे छात्र ने अतिरिक्त मेहनत से अच्छे अंक प्राप्त किए और आगे की पढ़ाई में छात्रवृत्ति पाई।

बाद में पहला छात्र पछताया और कहा:
👉 अगर मैंने मेहनत की होती तो किस्मत की चिंता ही करनी पड़ती।

सीखकिस्मत पर विश्वास करने के बजाय प्रयास पर भरोसा करने से सफलता तय होती है।


12.  निष्कर्ष

  • आम आदमी अक्सर किस्मत को जीवन की सबसे बड़ी शक्ति मान लेता है।
  • यह सोच असफलता और निराशा की ओर ले जाती है।
  • मानसिकता बदलने के लिए शिक्षा, प्रेरक कहानियाँ और छोटे-छोटे प्रयास जरूरी हैं।
  • किस्मत केवल अवसर देती है, लेकिन उसे सफलता में बदलना इंसान के कर्म पर निर्भर है।

👉 इसलिए कहा जाता है:
किस्मत से दरवाज़ा खुलता है, लेकिन भीतर जाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है।




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