✨ धनतेरस: क्या, क्यों और कैसे – इसके पीछे की कहानी ✨
धनतेरस, दीपावली से पहले आने वाला पहला दिन है, जो पूरे त्योहार की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। लेकिन बहुत
से लोग सिर्फ इसे “सोने-चाँदी खरीदने का दिन” मानते हैं, जबकि इसके पीछे एक गहरी आध्यात्मिक और ऐतिहासिक कहानी छिपी है। आइए जानते हैं इसे मानवीय और भावनात्मक अंदाज़ में —
🪔 “धनतेरस सिर्फ खरीदारी का दिन नहीं, यह अपने जीवन के असली ‘धन’ को पहचानने का दिन है — स्वास्थ्य, प्रेम और समृद्धि।”
🌕 धनतेरस क्या है?
धनतेरस को “धनत्रयोदशी” भी कहा जाता है।
यह कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी
तिथि को मनाया जाता है — यानी दीपावली से
दो दिन पहले।
“धन” का अर्थ है सम्पत्ति, स्वास्थ्य और समृद्धि,
और “तेरस” यानी त्रयोदशी तिथि (13वाँ दिन)।
इस दिन लोग धन के देवता कुबेर, धनवंतरी देव और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। यह दिन सिर्फ धन कमाने का नहीं, बल्कि धन के सही उपयोग और स्वास्थ्य की कद्र
करने का संदेश देता है।
🌟 धनतेरस क्यों मनाया जाता है?
धनतेरस के
पीछे कई पौराणिक कथाएँ और विश्वास जुड़े हुए हैं —
सबसे प्रसिद्ध दो कहानियाँ नीचे दी गई हैं 👇
🪔 1. समुद्र मंथन
और धनवंतरी की उत्पत्ति
कहा जाता है
कि जब देवताओं और असुरों ने अमृत पाने के
लिए समुद्र मंथन किया, तब उस मंथन से कई रत्न, देवी-देवता और दिव्य वस्तुएँ निकलीं।
उन्हीं में से एक थे भगवान धनवंतरी, जो अमृत कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे।
धनवंतरी जी को आयुर्वेद और चिकित्सा के देवता माना जाता है।
इसलिए धनतेरस का दिन स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना के लिए मनाया जाता है।
👉 यह हमें याद दिलाता है कि “सच्चा धन स्वास्थ्य है” — क्योंकि बिना स्वास्थ्य के कोई भी धन काम का नहीं।
💍 2. राजा हिमा
का पुत्र और मृत्यु से बचने की कहानी
एक और कथा
के अनुसार, एक राजा के पुत्र की शादी के चौथे दिन
उसकी मृत्यु का योग था — साँप के डसने से।
उसकी पत्नी ने यह जानकर बड़ी बुद्धिमानी दिखाई।
उसने पति को
सोने नहीं दिया, दरवाज़े पर दीपक जलाए,
घर के चारों ओर सोने-चाँदी के गहने और सिक्के सजाए,
और स्वर्ण आभूषणों की इतनी चमक फैलाई कि जब यमराज साँप के रूप में आए, तो उनकी आँखें चौंधिया गईं।
वह अंदर न जा सके और अगले दिन सूर्योदय होते ही लौट गए।
इस तरह युवक की मृत्यु टल गई।
तब से यह माना
जाने लगा कि इस दिन दीप जलाने और धन की पूजा करने से मृत्यु और नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती
है।
💰 धनतेरस कैसे मनाते हैं?
आज के समय
में धनतेरस का उत्सव पारंपरिक और आधुनिक दोनों रूपों में मनाया जाता है —
🪙 1. खरीदारी का
शुभ दिन
माना जाता
है कि इस दिन धातु (सोना, चाँदी, तांबा, पीतल) की कोई वस्तु खरीदना शुभ होता है।
क्योंकि यह समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है।
बहुत से लोग अब नए वाहन, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक्स या सोने के सिक्के भी खरीदते हैं।
🪔 2. दीपदान और
पूजा
शाम को भगवान धनवंतरी, माता लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा की जाती है।
दीप जलाकर कहा जाता है –
“धनतेरस की यह ज्योति, हमारे घर में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रकाश फैलाए।”
🧂 3. स्वास्थ्य
की कामना
कई लोग इस
दिन अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे, हर्बल दवाएँ या स्वास्थ्य से जुड़ी चीज़ें खरीदते हैं।
यह “धनवंतरी जयंती” भी है, इसलिए डॉक्टरों और वैद्य समुदाय के लिए यह दिन विशेष सम्मान का दिन होता है।
💬 धनतेरस का असली अर्थ (मानवीय दृष्टि से)
अगर गहराई
से देखा जाए तो धनतेरस हमें यह तीन बातें सिखाता है:
धन का मूल्य तभी है जब स्वास्थ्य सही हो।
अंधकार (नकारात्मकता, भय, असुरक्षा) को दीपक जलाकर दूर किया जा सकता है।
सच्चा धन सिर्फ पैसा नहीं — परिवार, प्रेम, स्वास्थ्य और समय भी उतने ही कीमती
हैं।
🌼 समापन संदेश
धनतेरस सिर्फ
खरीदारी का दिन नहीं, बल्कि “कृतज्ञता और कल्याण” का पर्व है।
इस दिन दीप जलाते हुए यह संकल्प लें कि —